धर्म-संस्कृति

शंकर रूपी भक्तिमणी से होता है सुख का प्रकाश : आचार्य मंमगाई

देहरादून। मोह रूपी दरिद्रता समीप नहीं आती क्योंकि मणि स्वयं धनरूप है और तीसरे लोभ रूपी हवा उस मणिमय दीप को बुझा नहीं सकती, क्योंकि मणि स्वयं प्रकाश रूप है, वह किसी दूसरे की सहायता से प्रकाश नहीं करती। उसके प्रकाश से अविद्या का प्रबल अंधकार मिट जाता है।
यह बात अजबपुर खुर्द शिव शक्ति मंदिर में सरस्वती विहार विकास समिति के द्वारा आयोजित शिवपुराण कथा में प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कही। उन्होनें कहा मदादि पतंगों का सारा
समूह हार जाता है। जिसके हृदय में भक्ति बसती है, काम, क्रोध और लोभ आदि दुष्ट तो उसके पास भी नहीं जाते, उसके लिए विष अमृत के समान और शत्रु मित्र हो जाता है। उस मणि के बिना कोई सुख नहीं पाता। बड़े-बड़े मानसिक रोग, जिनके वश होकर सब शंकर रूपी भक्ति रूपी मणि जिसके हृदय में बसती है, उसे स्वप्न में भी लेशमात्र दुःख नहीं होता।
आचार्य ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग मे दिखावा अधिक हो रहा है जबकि धर्म का दिखावे से कोई सम्बन्ध नही दुसरो के लिए बुरा सोचने वाला व्यक्ति स्वयं ही परेशानियों में घिरा रहता है। इसके विपरीत दुसरो को खुशी देने वाला व्यक्ति विशाल ह्रदय का मालिक होता है। साथ ही उसे सारी खुशियाँ स्वयम ही प्राप्त हो जाती हैं। उन्होनें मानव जीवन पर संस्कारों की अहम भूमिका बताई। आज प्रगति का युग है लोग कहते हैं कि मनुष्य धर्म और समाज के रूढ़िवाद से ऊपर उठकर आज आगे बढ़ गया है। आज मानव धर्म ही सर्वोपरि धर्म है और मानव सेवा ही सबसे बड़ा पुण्य। मनुष्य आज पहले से अधिक सुखी और स्वतंत्र और ज्ञानवान बन गया है, परंतु क्रियात्मक रूप में जब हम देखते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि सभ्य सुशिक्षित कुछ प्रगतिशील जनों का नही किंतु देशों का भी है। विचारशील तथा ज्ञानवान बनने का दम भरने वाले वे लोग स्वार्थ लिप्सा के लिए कोई भी कुकृत्य करने में नही हिचकिचाते। अस्तु यह सब दिखलाने का यह तात्पर्य है कि धर्म मूलक राज्य रखते हुए भी हिन्दू शाशकों ने किसी भी धार्मिक स्वतंत्रता का अपहरण नही किया किंतु सभी विचार वाले लोगों को अपने विचार जनता के सामने रखने और पालन करने की स्वतंत्रता भी है।
इस अवसर पर पंचम सिंह विष्ट, सचिव गजेंद्र भण्डारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएस चौहान, उपाध्यक्ष कैलाश तिवारी कोषाध्यक्ष विजय सिंह रावत, वरिष्ठ मंत्री अनूप सिंह फर्त्याल, मन्दिर संयोजक मूर्ति राम बिजल्वाण, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह नेगी गुरूजी एवं रघुवीर सिंह राणा प्रदेश सचिव कांग्रेस , दीपक कैन्तुरा, उर्मिला काला, उर्मिला मेहरा, प्रधानाचार्य चन्द्र प्रकाश सेमवाल, इंजीनियर पुष्कर नेगी ,राजेन्द्र डिमरी सुरेंद्र सेमवाल, महावीर सेमवाल, आशुतोष, अंजली, सुरेंद्र नेगी, मंजू नेगी, आकांशा, मोनिका, रोहित आदि मौजूद थे।

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