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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी को नहीं कोई खतरा, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने लगाया अटकलों पर विराम, विधायक दल की बैठक भी टली 

देहरादून  उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से  चले रहे सियासी तूफान पर आखिरकार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने थाम दिया है। राज्य में फिलहाल न तो कोई नेतृत्व परिवर्तन होगा और न ही मंगलवार को विधायक दल की बैठक ही बुलाई जाएगी। पार्टी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर गहन मंथन के बाद फैसला करने और मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये विवाद को खत्म करने का विकल्प भी आजमाने का संकेत दिया है। राज्य में जारी सियासी उठापटक पर राजधानी में दिनभर बैठकों का दौर जारी रहा। केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक दिल्ली तलब कर प्रदेश की सियासी धड़कन बढ़ा दी थी। संसद भवन में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री के साथ संगठन महासचिव बीएल संतोष की पर्यवेक्षक डॉ. रमन सिंह और प्रभारी दुष्यंत गौतम की रिपोर्ट पर मैराथन बैठक हुई। उम्मीद थी कि सीएम खुद मीडिया से मुखातिब होंगे। मगर थोड़ी देर के इंतजार के बाद सीएम ने अपना पक्ष रखने के लिए करीबी विधायक मुन्ना सिंह चौहान को भेजा। चौहान ने सीएम के प्रति असंतोष संबंधी खबरों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि सीएम के खिलाफ कोई असंतोष नहीं है और मंगलवार को विधायक दल की बैठक भी नहीं बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मामले में पार्टी का संसदीय बोर्ड निर्णय लेता है। संसदीय बोर्ड के निर्णय की जानकारी हमें नहीं है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को हटाए जाने पर हाईकमान विचार कर रहा है, चौहान ने साफतौर पर कहा कि त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की अफवाहें फैलाई जा रह थीं, जो पूरी तरह से गलत थीं। चौहान ने कहा कि उत्तराखंड भाजपा में सांसद, विधायक सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में किसी भी प्रकार से कोई गतिरोध नहीं है। पार्टी के सभी नेता एकजुट होकर डबल इंजन सरकार को मजबूती देने के लिए कार्य कर रहे हैं। कहा कि भाजपा का कोई भी विधायक असंतुष्ट नहीं है और सभी विधायक सरकार के साथ खड़ें हैं।

संसदीय बोर्ड की बैठक पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चौहान ने कि मुख्यमंत्री पद किसको बैठाना है या हटाना है यह संसदीय बोर्ड की बैठक और पार्टी हाईकमान का फैसला होता है। फिलहाल, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी को कुछ भी खतरा नहीं है। चौहान ने कहा कि पार्टी की ओर से मंगलवार को भाजपा विधानमंडल की बैठक नहीं बुलाई गई है। सीएम आज नई दिल्ली में रात्रि विश्राम कर मंगलवार राजधानी देहरादून के लिए रवाना होंगे। चौहान ने दावा किया है कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का नई दिल्ली दौरा पार्टी हाईकमान के आदेशों के बाद हुआ था नकि उनकों पद से हटाने के लिए। चूंकि, 18 मार्च को त्रिवेंद्र सरकार अपना चार साल का कार्यकाल पूरा कर रही है, इसलिए बैठकों का दौर जारी था।

बता दें कि सोमवार देर शाम को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को नहीं बुलाया गया था। शनिवार को आयोजित भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के बार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नड्डा और शाह को कमेटी की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट को आधार मानकर ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के भाग्य का फैसला होना था। सूत्रों की मानें तो, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की फिलहाल कुर्सी बची हुई है। बैठक खत्म होने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सांसद अनिल बलूनी के घर पहुंचे थे। करीब डेढ़ घंटे तक चली मुलाकात पर उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक हलचलों पर चर्चा हुई थी। उसके बाद, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर की ओर रुख किया था। वहीं भी, दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक राजनीति से जुड़ी बातों पर विचार-विर्मश किया गया था।

वहीं सोमवार दोपहर को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने बयान जारी करते हुए कहा था कि उत्तराखंड में आगामी 2022 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ही लड़ा जाएगा। प्रदेश में हो रहे नेतृत्व परिवर्तन की सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए भगत ने कहा था कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं है। भाजपा के कई विधायकों के नई दिल्ली में डेरा डालने के सवाल पर भगत ने कहा था कि मंत्रियों व विधायकों का दिल्ली आना-जाना लगा रहता है ताकि केंद्र की विकास योजनाओं को अपने-अपने क्षेत्र में लागू कराया जा सके। कहा कि त्रिवेंद्र सरकार का 18 मार्च को चार साल का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है, इसलिए सांसदों व विधायकों के साथ बैठक भी की जा रही है। वहीं, प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में शनिवार को चले सियासी ड्रामे के बीच अब असंतुष्ट विधायकों को साधने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हुईं थीं।

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