90 की उम्र में भी समाज सेवा में सक्रिय विद्यादत्त
जगदीश ग्रामीण
1973 में शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान, विद्यालय की बहुमुखी प्रगति, सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित
देहरादून। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त जिला विद्यालय निरीक्षक व उत्तराखंड आंदोलनकारी विद्यादत्त रतूड़ी 90 वर्ष की उम्र में आज भी सक्रिय रूप से समाज सेवा में लगे हुए हैं। टिहरी के प्रतापनगर विकासखंड के ग्राम जेवाला में 19३0 में जन्म विद्यादत्त रतूडी उत्तराखंड आंदोलनकारी होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी है। समाज में व्याप्त रूढिय़ों, बाल विवाह, मद्यपान, पशुबलि प्रथा को समाप्त करने के लिए जीवनभर प्रयासरत रहकर सफलता प्राप्त की। श्री रतूडी के प्रयास से 19६९ में राजराजेश्वरी मंदिर में बेला बलि प्रथा तथा सेमनागराजा मंदिर मुखेम में बकरों की बलि प्रथा बंद हुई। धार्मिक कार्यों में भी अनूठी मिसाल कायम की है।1981 में थलकेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार एवं शिवपुराण का आयोजन,1987 में उत्तरकाशी में शत कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन,1988 में सहजनवा गोरखपुर में 24 सत वेदीय दीप यज्ञ,2007 में ढालवाला ऋषिकेश में पंच कुंडीय गायत्री त्रि दिवसीय महायज्ञ, 2009 में श्री कृष्ण नागराजा की धरती सेम मुखेम में अष्टादश पुराण,रुद्रयाग शतचंडी, तथा पंच कुंडीय नवाह यज्ञ सम्पन्न करवाया। 2010 में हरिद्वार कुंभ में 131 देव डोलियों के साथ देवताओं का गंगा स्नान आपकी सोच व मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। 2013 की केदारनाथ आपदा के मृतकों की आत्मा की शांति हेतु 28 सितंबर से 4 अक्टूबर 2013 तक शंकराचार्य आश्रम दण्डीवाड़ा ऋषिकेश में अष्टोत्तर शत श्री मद भागवत महापुराण का दिव्य आयोजन एवं पितृ तर्पण यज्ञ करवाया।
उत्तराखंड आंदोलन की अलख जगाने की बात हो या 2 सितंबर 1994 के मसूरी गोली कांड के बाद मसूरी कूच हो, दिल्ली रैली हो, रतूड़ी जी हमेशा इंद्रमणि बडोनी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। रतूड़ी दम्पति अनेक बार आंदोलन के दौरान जेल भी गए। आप उक्रांद के संरक्षक भी रहे। हर अच्छे कार्य में सहयोग करने वाले श्री रतूड़ी जी अपनी पेंशन की अधिकांश धनराशि सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में व्यय करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर श्री रतूड़ी जी आज भी स्वस्थ, सक्रिय, सजग एवं प्रसन्नमना हैं। 1973 में शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान, विद्यालय की बहुमुखी प्रगति, सामाजिक कार्यों के लिए आपको राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। “एशिया प्रसंग” में एशिया महाद्वीप के लगभग 2300 विशिष्ट व्यक्तियों का जीवन परिचय प्रकाशित किया गया जिसमें आपको स्थान मिला। दिसंबर 2013 में जगदीश ग्रामीण की पुस्तक “आंख्यों मा आंसू” में आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं को सबके सम्मुख लाने का प्रयास किया गया है।
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