देहरादून

जड़ी—बूटियों व हर्बल उत्पादन पर शोध की जरूरत

फाईटो केमिस्ट्री और आयुर्वेद पोटेशिंयल पर संगोष्ठी आयोजित
देहरादून। मैनेजमेंट ऑफ युनिवर्सिटीज जर्नल आफ फाईटो केमिस्ट्री और आयुर्वेदिक हाईट्स द्वारा ‘फाईटो केमिस्ट्री व आयुर्वेद पोटेशियंल और प्रासपेक्टस’ पर विषय संगोठी का आयोजन किया जिसमें विशेषज्ञों ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने पर जोर दिया। कार्यक्रम में जर्नल एवं स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
शनिवार को आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने वर्चुअल रूप से उत्तराखंड में जड़ी—बूटियों की खेती के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जड़ी—बूटियों का अथाह भंडार है। एेसे में छिपी जड$ी—बूटियों को खोजने की जरूरत है। साथ ही उत्तराखंड में जड़ी—बूटियों और हर्बल उत्पादों पर और अािक शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पीएम ने उत्तराखंड में कोरोना के दवा के विकास के लिए 40 करोड रुपये आवंटित किए। बतौर विशिष्ट अतिथि आयुर्वेंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसके जोशी ने कहा कि कोरोना का इलाज आयुर्वेद से ही संभव है। एसबीएस के कुलपति डा. आरके सिंह ने फाईटो केमिस्ट्री के आधार आयुर्वेद के अध्ययन पर जोर दिया। डा. एस फारुख ने जड़ी बूटियों के अनुसंधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान से ही तरक्की संभव है। डा. हिम्मत सिहं ने कहा कि संगठन ने फाईटोकेमिस्ट्री, फार्माकोडायनामिक्स को आगे आकर शोधकर्ताआें को एक प्लेटफार्म दिया। डा. आईपी सक्सेना ने जर्नल के संबंध में जानकारी दी। इससे पूर्व
इस मौके पर आयोजित पोस्टर प्रस्तुति में अनिल कुमार, अपर्णा उनियाल ने प्रथम, सुकन्या क्षेत्री, वर्षा द्वितीव, रागिब अली व राशिद हुसैन ने तृतीय व इकरा फातिमा ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। मौखिकी प्रस्तुति में सौरव जैन प्रथम, रश्मि द्वितीय व अमिता डिमरी तृतीय स्थान पर रही। संगोष्ठी में डा. संजय नैथानी, डा.वर्षा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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