मुख्यमंत्री ने किया बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को सम्मानित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमें अपने बुजुर्ग कार्यकर्ताओं से राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है। हमारे इन महान कार्यकताओं के अथक परिश्रम के बल पर आज भारत ही नही विश्व का बडा संगठन खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह हमारे वरिष्ठ लोगों के प्रताप का फल है कि आज उन जैसा सामान्य कार्यकर्ता उत्तराखण्ड़ के मुख्य सेवक के रूप में कार्य कर रहा है।
सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में भाजपा द्वारा आयोजित विचार यात्रा संगोष्ठी में सांसद नरेश बंसल, भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, विधायक खजान दास आदि ने भी सम्बोधित कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को युवा मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा राज्य हित में लिये जा रहे निर्णयों की जमकर सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री के कार्यों को अन्य राज्यों के लिये भी प्रेरणादायी बताया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 101 बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा उनका आर्शीवाद लिया। मुख्यमंत्री ने स्व. डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी व स्व. पं.दीनदयाल उपाध्याय का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने ‘राष्ट्रवाद’ और ‘अंत्योदय’ को परम कर्तव्य मानने का विचार हमें दिया।
उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को भारत से अलग मानने के भी घोर खिलाफ थे और उन्होंने पहले दिन से ही धारा-370 का विरोध किया था। जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाने हेतु उन्होंने नारा भी बुलंद किया और कहा कि “एक देश में दो निशान, दो प्रधान दो विधान नहीं चलेंगे”
आज उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को समाप्त करने का महान कार्य किया है। जनसंघ के माध्यम से ही देश को स्व. पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के रूप में एक महान विचारक और प्रखर राष्ट्रवादी नेता भी प्राप्त हुए। उनके द्वारा दिया गया ‘अंत्योदय’ और ‘एकात्म मानववाद’ का सिद्धांत आज भी मानवीय विकास का सबसे उपयुक्त विचार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम भारत के इकलौते ऐसे राजनीतिक दल हैं जो हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखता है। ये जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है कि एक सामान्य सा कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को प्राप्त कर पाता है और एक गरीब परिवार से आने वाला सामान्य कार्यकर्ता प्रधान सेवक या मुख्य सेवक बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में पहली बार भाजपा ने वोट बैंक की राजनीति को टक्कर देने का साहस किया और इसके नुकसान देश को समझाने में सफलता प्राप्त की। वोट बैंक की राजनीति को दरकिनार करते हुए हमारी सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों के कारण ही आज हमें प्रत्येक क्षेत्र में जनता का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है। आज दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, किसानों, नौजवानों के साथ ही जिस तरह महिलाएं हमारे पक्ष में मजबूती से खड़ी हुई हैं, वो अपने आप में एक नए युग के प्रारंभ होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हमारे लिए राजनीति और राष्ट्रनीति साथ-साथ चलते हैं। हम राजनीति से राष्ट्रनीति को अलग करके चलने वाले लोग नहीं हैं। देश में अब वो दिन दूर नहीं जब केवल राष्ट्रभक्ति ही राजनीति की प्रथम आवश्यकता होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने भी कुछ दिन पूर्व ही अपने कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण किए हैं। इस एक वर्ष के दौरान, हमने हर क्षण यह प्रयास किया है कि प्रदेश के सामने जो भी चुनौतियां हैं उन सभी का समाधान निकाला जाए और राज्य को विकास की राह पर आगे बढ़ाया जाए। यही कारण है कि जनता से हमें आज पूरा समर्थन मिल रहा है और इस एक वर्ष के दौरान हमने जनता के विश्वास को और भी अधिक सुदृढ़ किया है। उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने का जो विकल्प रहित संकल्प लेकर हम चल रहे हैं उसके बहुत से पड़ाव पार करने अभी बाकी हैं। इस एक वर्ष में हमने नए उत्तराखण्ड निर्माण के संकल्प को ध्यान में रखते हुए दिन – रात कार्य करने का प्रयास किया है। इस एक वर्ष के दौरान हमने जनता से किए अपने वादों को या तो पूरा किया है या फिर उन्हें पूरा करने कि दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे अंत्योदय परिवारों को तीन गैस सिलेंडर देने हों, प्रदेश की महिलाओं के लिये क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को लागू करना हो, नई शिक्षा नीति लागू करना हो, नई खेल नीति लागू करना हो, राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण देना हो या फिर लैंड जेहाद जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करना हो.. हमने इन सभी कठिन परंतु राज्य के लिए आवश्यक कार्यों को अपने छोटे से कार्यकाल में कर दिखाने का साहस किया है। हमारे लिए प्रदेश और प्रदेश के हित सर्वोपरि हैं और जब तक हमारी सरकार है, हम किसी भी वर्ग का अहित नहीं होने देंगे। इस अवसर पर जिन्हें सम्मानित किया गया उनमें श्रीमती सत्यवती घोष, श्रीमती दीपा शाह, देवप्रकाश, नरेंद्र मित्तल, विनोद भल्ला, हरिओम ओमी, श्रीमती सुशीला बलूनी, योगेन्द्र कोहली, प्रभाकर उनियाल, चमन लाल वाल्मीकि, रूप सिंह कठैत, विजय श्रेय, सूरज भाटिया, विनोद शर्मा, रविन्द्रनाथ कौशिक आदि प्रमुख थे।
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