शिक्षक दिवस पर कवि बेलीराम कंसवाल की कविता-“शिक्षक समाज को सदा ही, राह दिखाते..”
शिक्षक दिवस की अनंत शुभकामनाओं के साथ,पूज्य गुरुवरों को समर्पित मेरी कविता से कुछ पंक्तियाँ——–
शिक्षक समाज को सदा ही,
राह दिखाते।
घनघोर तम में ज्ञान के वे,
दीप जलाते।
पर आज के समाज में वो,
बात है कहाँ।
गुरु से भी बढ़ंग के समझते हैं,
खुद को कुछ यहाँ।
पर भूलकर भी भूल ये ,
कभी न हमसे हो।
गुरु का तनिक कि हमसे,
अनादर कभी न हो।।
जीवन में जिनका सबसे अधिक
योगदान है।
भगवान से भी बढ़ के जिनका,
जग में थान है।
ऊँगली पकड़ जो जग का हर इक,
ज्ञान सिखाते।
हर धूप छाँव जगत के ,
अनुकूल बनाते।
ऐसे कि पूज्य वर तुम्हें
मेरा सलाम है।
अंतः करण से आज कि,
शत शत प्रणाम है।।
समरस समाज का हमें कि,
पाठ पढ़ाया।
आखर उकेरे ज्ञान के,
नव मार्ग दिखाया।
देश के लिए जिएं मरें ,
कि ध्येय है।
वतन की आन बान का ही,
गीत गेय है।
कि देशभक्ति कूट कूट ,
भरी आपने।
जीवन की नाव पार सदा ,
करी आपने।
उपकार जिंदगी पे हैं,
हजार आपके।
वीणा के मधुर स्वरों में ,
हर तार आपके।
कृपा सदा बनी रहे ,
गुरुदेव आपकी।
आज हूँ जहाँ भी मैं ,
ये देन आपकी।।
शिक्षक दिवस पे आज है,
शुभकामना तुम्हें।
हाथ सदा शीश हो,
आशीष दें हमें।।
हाथ सदा……….।
स्वरचित-
बेलीराम कनस्वाल
घनसाली,टिहरी गढ़वाल,उतराखण्ड।