वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का निधन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तमाम नेताआें ने जताया दुख, आंदोलनकारियों में शोक की लहर
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी का मंगलवार शाम को निधन हो गया है। 84 वर्षीय बलूनी ने मसूरी रोड स्थित मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह पिछले लंबे समय से बीमार थी। इस दौरान उनका इलाज सीएमआई अस्पताल व हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में भी चला। बताया जा रहा है कि दोपहर को तबीयत ज्यादा खराब होने पर परिजन उन्हें मैक्स अस्पताल ले गए, जहां पर उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वह अपने पीछे तीन बेटों व दो बेटियों का भरा—पूरा परिवार छोड़ गई। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी श्रीमती बलूनी का निधन होने से राज्य आंदोलनकारियों में शोक की लहर है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत समेत मंत्रीमंडल के अन्य सदस्यों के अलावा भाजपा, कांग्रेस, उक्रांद व अन्य दलों के नेताआें ने भी श्रीमती बलूनी के निधन पर गहरा दुख जताया। परिजनों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार बुधवार को हरिद्वार में होगा। इससे पहले शव यात्रा उनके डोभालवाला स्थित आवास से हरिद्वार के लिए निकलेगी। पृथक राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी पिछले लंबे समय से बीमार थी। कुछ साल पहले भी वह कई दिन तक मैक्स अस्पताल में भर्ती रही और आईसीयू में मौत व जिंदगी के बीच जूझती रही। हालांकि अस्पताल के डाक्टरों के अथक प्रयास से वह स्वस्थ्य हो गई थी। लेकिन पिछले तीन—चार माह से फिर उनकी तबियत नासाज होने लगी। जिस कारण परिजन उन्हें इलाज के लिए सीएमआई, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट व मैक्स अस्पताल ले गए। अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने आज अंतिम सांस ली। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी सुशीला बलूनी पृथक राज्य प्राप्ति के लिए वर्ष 1994 में हुए आंदोलन की पहली महिला अनशनकारी रही। नौ अगस्त 1994 को उन्होंने देहरादून कलेक्ट्रेट में गोविंद राम ध्यानी और रामपाल के साथ आमरण अनशन शुरू किया था।
पृथक राज्य प्राप्ति के लिए हुए आंदोलन के दौरान उन्होंने कई बार जेल यात्राएं करने के अलावा धरना—प्रदर्शन, चक्काजाम व अन्य आंदोलनात्मक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाने के साथ ही आंदोलन का नेतृत्व भी किया। वह उत्तराखंड महिला संयुक्त संघर्ष संघर्ष समिति की केंद्रीय अध्यक्ष भी रही। पृथक राज्य निर्माण के बाद वह बतौर आंदोलनकारी विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए मैदान में भी उतरी थी। हालांकि विस चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के कार्यकाल में उन्हें राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी स्मृति मानपत्र समेत कई पुरस्कार भी उन्हें मिले।