देहरादून

बच्चों पर अभिभावक अपनी इच्छा न थोपें : गीता खन्ना

देहरादून। उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरमैन डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि बच्चों पर किसी प्रकार का कार्य जबरन नहीं लादना चाहिए। आज के युग में बच्चे को सही मार्ग प्रशस्त कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। श्रीमती खन्ना शिक्षांकूर दून के 17वे वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। डॉ. खन्ना ने कहा कि बच्चों का यह प्रदर्शन इन्हें अग्रिम पंक्ति तक लाने में सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को इस तरह के उत्सव समय-समय पर करने चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो मां-बाप की परिधि से बाहर होते हैं। वे अलग-अलग कार्यक्रमों में जाने के लिए कहते हैं और उन्हें रोका नहीं जा सकता जिसके लिए वह माता-पिता से खर्च भी करवाते हैं।अगर मां-बाप उन्हें रोके तो वे किसी और तरह के कार्यों में जुड़ कर उस मुकाम को पूरा करने में सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में वीडियो कॉल एक आम बात हो गई है, जिससे हमें बच्चों से जुड़ा जा सकता है। आज बच्चे देश विदेश में एक अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं और उन्हें मिलने का साधन सिर्फ वीडियो कॉल ही रह गया है। बच्चों को आज हमें किस तरह से पालन पोषण करना चाहिए, यह हमें आज के युग के चलते सबक लेना होगा। उन्होंने कहा कि आज बच्चे अपने शिखर पर पहुंचकर सामान्य ज्ञान के साथ विविध विषयों की किताबों को पढ़कर वे अपना मुकाम खुद बनाते हैं। इसके लिए हमें बच्चों को कभी यह नहीं कहना चाहिए कि उसके अन्य बच्चों की अपेक्षा कम नंबर है। 80 नंबर वाले को भी उतना ही महत्व देना पड़ेगा जितना कि 120 नंबर वाले को। यह तो सिर्फ एक आइक्यू की बात है। उन्होंने कहा कि आज के युग में टीचर बच्चों के लिए एक अहम भूमिका अदा करता है जो उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए टीचर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
शिक्षांकुर दून अर्ली इयर्स वनस्थली बल्लूपुर के नन्हे छात्र छात्राओं ने अपना 17वा वार्षिक समारोह बड़े उत्साह व उल्लास के साथ कौलागढ़ स्थित ONGC के कम्युनिटी सेंटर में मनाया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अभिभावकों व अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि व राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ। गीता खन्ना ने पारम्परिक दीपशिखा प्रज्वलित कर किय। तदन्तर छोटे बच्चों ने गणेश वंदना, प्ले, राइम टाइम, व अंग्रेजी के प्रस्सिध लेखक रुडयार्ड किपलिंग की प्रस्सिध पुस्तक “द जंगल बुक” पर आधारित नाटक की सुन्दर प्रस्तुति दी। नन्हे बच्चों ने अपने प्रदर्शन से सभी दर्शकों का मन मोह लिया।
मुख्य अतिथि डॉ. गीता खन्ना ने अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अब १४ वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य करते हुए भारत सरकार ने शिक्षा को बच्चों के मौलिक अधिकारों के साथ जोड़ दिया। वो उत्तराखंड में स्वयं बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा रहते हुए इस क्षेत्र में निरंतर कार्यरत हैं। स्वयं एक चिकित्सक होते हुए उन्होंने बच्चों के पौष्टिक आहार व खेल कूद के महत्व पर भी बल दिया।

विद्यालय की प्रधानध्यापिका श्रीमती वंदना देवलाल ने बताया कि शिक्षांकुर दून अर्ली इयर्स जिस नाम से अब जाना जाता है वह पिछले १८ सालों से किंडरगार्टन एजुकेशन में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। विद्यालय का सीनियर सेकेंडरी स्कूल ब्रांच कक्षा १२वी तक (CBSE बोर्ड से मान्यता प्राप्त) ISBT के समीप शिक्षांकुर द ग्लोबल स्कूल के नाम से स्तिथ है।

समारोह में भाग लेने वाले बच्चों में कुन्ज पुंडीर, अभीम थापा, वेदिका गुप्ता, राघव श्रीवास्तव, अहाना पंवार, पावनी जुनेजा, मिशिका व महिका बडोनी, नितारा पुनिया, आरोही गौर, व करणवीर सिंह आदि रहे।

इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक प्रणय जोशी, अद्यापिकाएँ – आशिमा, किरन, नवनीता, रेवती, हिमानी, दिव्या, शिखा, महिमा, व मेघा आदि उपस्थित रहे।

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