धर्म-संस्कृति

मकर संक्रांति पर मां—बेटे ने किया नेत्रदान

देहरादून। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर मां और बेटे ने नेत्रदान कर मकर संक्रांति के पर्व की खुशी को दुगुना कर दिया है। उनकी मृत्यु के बाद दो लोगों को आंखों की रोशनी मिल सकेगी। गुरुवार को रामनगर डांडा, थानों निवासी 70 वर्षीय स्वरूपी देवी पत्नी स्व. राघवानंद तिवाड़ी ने हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में जाकर अपने मृत्यु के बाद नेत्र दान की इच्छा जताकर संकल्प पत्र भरा। उनके पदचिन्हों पर चलते हुए उसका बेटा सतीश(अशोक तिवाड़ी) ने भी माता के साथ नेत्रदान का संकल्प लेकर युवाआें के लिए नई राह खोल दी है।

पर्वतीय क्षेत्र की रहने वाली महिला स्वरूपी देवी ने नई पीढ़ी के लिए समाजसेवा का एक आदर्श प्रस्तुत किया है। बुजुर्ग महिला क्षेत्र के लिए आदर्श है। उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें लोग नमन कर रहे है। सतीश तिवाड़ी भी अनेक सामाजिक कार्य कर जरुरतमंद लोगों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मां व बेटे द्वारा किया गया नेत्रदान सभी के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा। इस मौके पर 70 वर्षीय महिला ने कहा कि बेटा, यह शरीर तो मिट्टी है, एक न एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा। नेत्रदान बहुत अच्छा कार्य है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे यह अवसर प्राप्त हुआ। मां—बेटे के इस कार्य को देखकर क्षेत्र के लोग उनकी खूब प्रशंसा कर रहे है।
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