साहित्य

कवि बेलीराम कंसवाल की लोकपर्व फूलदेई पर गढ़वाली कविता ‘फ्योंलि बुरांसु न सारी पृथि सजीगे…’

देहरादून। ऋतुराज बसंत के आगमन और चैत्र मास की संक्राति पर शिक्षक कवि बेलीराम कंसवाल ने गढ़वाली में कविता लिखकर फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं दी है। फूलदेई पर उनकी कविता की कुछ पंक्तियां—

          डेळि डेळ्यूं  मा  बसंत, धै लगांद ऐगे।

           फ्योंळि बुरांसु न  सारी  पृथि  सजीगे।

           स्वीणा  सुपिन्या स्वाणा सजण लैगिन।

           मन मा मायादारु  का भी  उलार ऐगे।। 

   रंगिला   पिंगळा   फूलु   लीक,  फुल्यारि   ऐगिन।

   भक्क भरिक कैंण्लि,खुशियुं कि, सज्यारि  ऐगिन।

   फूल  जनि    मुखड़ि   भलि,  खित  खित  हैंसदि। 

   मौळ्यारा का कल्यो लीक ,स्वाणि कल्यारि ऐगिन।

 

                 -: बेलीराम कनस्वाल,  घनसाली,टिहरी गढ़वाल     

             

 

 

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