धर्म-संस्कृति

विरासत-2022 का रंगारंग आगाज, सीएम धामी ने शुभारंभ

विरासत की पहली शाम छोलिया नृत्य, कथक और शहनाई वादन के नाम रहा
देहरादून।’विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलन के साथ डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ,आरके श्रीवास्तव प्रबंध निदेशक ओएनजीसी, पुर्व प्रबंध निदेशक ओएनजीसी डॉ. अलका मितल एवं डायरेक्टर ऑपरेशन पंकज कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आरके सिंह, जनरल सेक्रेटरी रीच के द्वारा किया गया।
इस मौके पर सीएम ने कहा कि इस भव्य आयोजन के लिए मैं विरासत के आयोजको का आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे लोकल कलाकारों को भी ऐसे मंच में भाग लेने का अवसर प्रदान हो और देश-विदेश से तमाम आए हुए कलाकारों के साथ उत्तराखंड के कलाकार भी अपना नाम कमा सकें। उन्होंने कहा विरासत ने पूरे भारतवर्ष में अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि साहित्य, संगीत और कला लोगों को विनम्र बनाता है।


सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड के लोकप्रिय छोलिया नृत्य के साथ हुआ। जिसमें उत्तराखंड के कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी देकर लोगों का मन मोह लिया। इस बार पारंपरिक यंत्रों के साथ-साथ अपनी प्रस्तुति को और मनोरंजक बनाने के लिए कैसियो का इस्तेमाल भी किया गया। छोलिया नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने देवताओं के आगमन से किया, उसके बाद नव मूर्ति मदोबाज ,छोला युद्ध , मीनार जैसे प्रस्तुतियां दी। इस छोलिया नृत्य में मुख्य कलाकार गीता सरारी के साथ सहायक कलाकार हरीश कुमार (ढोल रणसिंह ) प्रताप राम (बैग पाइपर) मोहन राम , गिरीश कुमार , दर्शन कुमार ,राजू कुमार (छोलिया योद्धा) किशन (ताल ) रोहित (तूकी) राजू (कैसियो) में अपने पारंपरिक यंत्रों पर अपनी संगत दी।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति शहनाई वादन का रहा। जिसमें लोकप्रिय शहनाई वादक अश्वनी एवं संजीव शंकर ने कथक की धमाकेदार प्रस्तुतियां दी। आखिरी प्रस्तुति में लोकप्रिय कथक नृत्यक कृष्ण मोहन ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। उन्होंने इस बार अपनी नई थीम ’कलर्स ऑफ कत्थक’ पर अदभुत नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने कत्थक के सभी पहलुओं का प्रस्तुतीकरण किया एवं प्रस्तुति की शुरुआत कृष्ण की आराधना (सूरदास के पद ) से की।  इसके बाद उन्होंने हिंदू काल, मुगल काल तराने सूफी जैसे पदों में प्रस्तुतियां दी। साथ ही साथ उन्होंने एक ग़ज़ल मे कथक की प्रस्तुति दी जो कि उनके द्वारा लिखी एवं संयोजित की गई है।
इस 15 दिवसीय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रकार के व्यंजन, हथकरघा एवं हस्तशिल्प के स्टॉल, अफगानी ड्राई फ्रूट, पारंपरिक क्रोकरी, भारतीय वुडन क्राफ्ट एवं नागालैंड के बंबू क्राफ्ट के साथअन्य स्टॉल भी हैं।
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