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दर्द – ए – ऐरल गांव : सड़क व स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित गांव की दास्तां!

दर्द – ए – गांव : ऐरल गांव
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जनपद टिहरी के विकासखंड जौनपुर की ग्राम पंचायत “सेरा” का हिस्सा है ऐरल गांव। यह गांव विधानसभा क्षेत्र धनोल्टी के अंतर्गत आता है।।स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर आज 21वीं सदी में भी गांव में प्राथमिक चिकित्सा उपचार की भी व्यवस्था नहीं है। मरीजों को और प्रसूताओं को कुर्सी और चारपाई पर रायपुर अस्पताल पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती है। बरसात के चार महीनों में तो इस चुनौती से पार पाना किसी खतरे से खाली नहीं है। कई बार तो मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में दम तोड़ देते हैं।

किसानों को भी अपनी फसल का उचित दाम यातायात सुविधा के अभाव में नहीं मिल पाता है। क्योंकि किसान पहले सिर, पीठ पर अथवा खच्चर पर गांव से सामान “रंगड़ गांव” के पास तक लाते हैं, जहां से खस्ताहाल मार्ग पर जीप द्वारा सामान देहरादून मंडी पहुंचाया जाता है। किसानों ने बताया कि कभी-कभी फसल का मूल्य कम होने के कारण तो मंडी से बकाया की पर्ची आ जाती है। उत्तराखंड राज्य बनने के लगभग 21 वर्ष होने को हैं लेकिन आज भी राजधानी देहरादून से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सका है।

यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। रायपुर – मालदेवता – गंधक पानी मार्ग पर बाइकर्स और साइकिल सवार लगातार चलते रहते हैं। इन रास्तों पर कई जगह सुंदर प्राकृतिक झरने भी हैं लेकिन “मालदेवता – गंधक पानी मार्ग” की दुर्दशा को देखते हुए पर्यटक इन राहों से आधी दूरी तय करके ही वापस लौटने को विवश हैं।

सत्ता के शीर्ष पर बैठे अधिकारियों और राजनेताओं से यह प्रश्न तो पूछा ही जाना चाहिए कि आखिर गांव की पगडंडियां कब सड़कों में तब्दील हो पाएंगी। किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम कब मिल पाएगा। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी आखिर कब की जाएगी।

उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र के रहने वाले सरल, समर्पित, सर्वसुलभ और युवा “मुख्यमंत्री धामी जी” से गांव के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि गांव के लोगों की उम्मीदों को धामी जी के मुख्यमंत्री बनने से जो पंख लगे हैं एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जिस दिन गांव के लोग भी विकास की उड़ान भरेंगे।

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