विविध

औषधीय गुणों से भरपूर है “करेला”

हमारे देश के सभी सब्जियों में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है  इससे हमारा शरीर स्वस्थ एवं निरोग रहता है। आज हम आपको एक ऐसे सब्जी के बारे में बताते है जो अपने स्वाद के लिए कम, बल्कि औषधीय गुणों के लिए पहचानी जाती है। इसके बारे में सोचकर कड़वापन का ख्याल मन में आ जाता है, भले ही इसका कड़वापन आपके मन को ना भाए, लेकिन इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और जरूरी विटामिन प्रचुरत आपके शरीर के रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जो आपको चंगा रखते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं करेला की कड़वा होने के कारण जिसे लोग  कम पसन्द करते हैं,लेकिन यह अपने अंदर सैकडों बीमारियों से लड़ने वाली औषधीय  खूबियों को समेटे रहता है। वैसे तो आजकल  करेला हर मौसम में मिल जाता है, लेकिन यह जायद की फसल है। इसकी खेती साल में दो बार की जाती है पहली फरवरी माह के अंत तक , जबकि दूसरी  खेती 15 से 30 जुलाई तक की जाती है। इसकी बेहतर पैदावार के लिए बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खाद डालना चाहिए। इसकी कई जाती पाई जाती है, जैसे पूसा, मौसमी, कोयम्बटूर लौंग, अर्क, हरित, कल्याणपुर, बारह माली, हिसार सेलेक्शन आदि हैं, वैसे छोटे करेला स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है, लेकिन इसका  बाजारीकरण के चलते भारी भरकम करेला उगाया जाता है। बेल पर लगने वाली यह शाकीय बेल है, भारत ही नही वरण पूरी दुनिया में यह खाशी लोकप्रिय है। इसका जन्म  स्थान  उष्ण जगहों या फिर, अफ्रीका, चीन में माना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम  mimordika krshiyaan है। भारत मे इसकी कई जंगली जातियां आज भी पाए जाती है। करेला की तासीर ठंडी होती है और इसका सेवन शरीर को ठंडक पहुचाती है।

आयुर्वेद में भी इसके औषधीय गुणों का ज़िक्र किया गया है, ओर करेला कई रोगों को दूर करने में सहायक होता है। करेला में विटामिन a, b, c प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें, कैरोटीन, बीटा कैरोटीन, ल्युटीन, आयरन, जिंक, पोटेशियम, मैगनीज़, फ्लावोंनवाइड,सोडियम आदि भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। मनुष्य शरीर के ताप को नियंत्रित करने के लिए, स्वास्थ्य रहने के लिए मीठा, तीखा, खट्टा ओ कसैला रस की बेहत जरूर होती है, उसी प्रकार मनुष्य शरीर को कड़वे रस की भी जरूरत पड़ती है, अगर इन रसों की शरीर मे कमी हो जाए तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और, हमारे शरीर मे विकार आने शुरू हो जाते हैं। करेला  का कड़वापन ही उसकी सबसे बड़ी खूबी होती है, अधिकांश लोग  चटनी, सब्जी, अचार,आदि के रूप में इसका प्रयोग करते हैं,  करेला पीलिया में बेहद लाभप्रद माना गया है, इसके अलावा, पित्त कफ, रूधिर विकार, आदि का नाश करता है, करेला त्वचा रोगों के लिए रामबाण औषधि मानी जाती है,साथ ही करेले को पाचन शक्ति का बादशाह भी कहा जाता है। इसमें बिटर्स एल्केलाइड तत्व आआया जाता है, जो रक्त शोधक का काम करता है और अर्टली वाल पर एकत्र कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे ह्रदय घात का खतरा कम करता है। इसके अलावा, सिर दर्द में इसका लेप लगाने से सिर दर्द से छुटकारा मिलता है। मुह में अगर छाले  हो गए होतो इसके रस व फिटकरी डालकर कुल्ला करने से राहत मिलती है। यदि आपको कफ की शिकायत, पेट मे कीड़े की शिकायत हो तो इसके रस का प्रयोग करे तो लाभ मिलता है। बवासीर होने पर चीनी में करेला का रस मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। अगर पथरी की शिकायत हो तो, करेला के रस में शहद, व हींग मिलाकर सेवन करने से पथरी की समस्या का समाधान आसानी से हो सकता है। दाद, खाज, खुजली होने पर करेले के रस में नींबू मिलाकर पीने से यह समस्या खत्म हो जाती है। उल्टी दस्त होने पर भी यही प्रक्रिया अपनानी चाहिए। औषधि के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कच्चा करेला ही ज्यादा मुफीद होता है। करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है। डार्क करेला में ढेरों एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन पाए जाते हैं। करेले का सेवन हम कई रूपों में कर सकते हैं। हम चाहें तो इसका जूस पी सकते हैं, सब्जी या अचार बना सकते हैं। करेला ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के इलाज के लिए बहुत लाभकारी है। अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

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