शिक्षक दिवस पर अंशी कमल द्वारा प्रस्तुत दोहे-“सकल जगत में ज्ञान के, गुरु ऐसा भण्डार,बरसे जब उनकी कृपा, होती नैया पार..”
हिन्दी साहित्य भारती की *अंशी कमल* द्वारा शिक्षक दिवस पर प्रस्तुत दोहे-
सकल जगत में ज्ञान के, गुरु ऐसा भण्डार |
बरसे जब उनकी कृपा, होती नैया पार ||01||
गुरु से मिलता है सदा, मात पिता सम प्यार |
महिमा वर्णित क्या करूँ, महिमा बड़ी अपार||02||
गुरुवर को समझो सभी, ईश्वर का ही रूप |
उनसे तम दुख का हटे , खिले खुशी की धूप ||03||
गुरु के कारण ही मिले, जग में ऊँचा नाम |
गुरु के चरणों में दिखें, मुझको चारों धाम ||04||
गुरुजन से मिलता हमें, नवल – नवल नित ज्ञान |
गुरु में हैं बसते सदा, मात पिता भगवान ||05||
अम्बर सम गुरु की कृपा, जिसका ओर न छोर |
जड़ता का सब तम मिटे, उगे ज्ञान की भोर ||06||
गुरु हमसे रूठें नहीं, सदा रखो यह ध्यान |
गुरु बिन ज्ञान मिले कहाँ, मिले कहाँ भगवान||07||
मिलता जग में है हमें, गुरु से ही सम्मान।
भूले से गुरु का कभी, मत करना अपमान ||08||
गुरु बिन जीवन व्यर्थ है, गुरु जीवन आधार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन, नमन करूँ सौ बार।।09।।
गुरु की हर इक सीख पर, नित्य धरें सब ध्यान।
गुरु से ही मिलती हमें, सदा नवल पहचान।।10।।
मिले ज्ञान गुरु से हमें, और मिले आशीष।
अंशी का नित नित झुके, गुरु चरणों में शीश।।
अंशी कमल
श्रीनगर, उत्तराखण्ड