देहरादून

एवरेस्ट विजेता विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने सांझा किए संस्मरण

श्री गुरु राम राय जी महाराज व अमर शहीद नायक नायिकाओं को किया याद
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट में करेंगे पी.एचडी
 श्री दरबार साहिब परिसर में बिताये समय व स्मृतियों को किया याद

देहरादून। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव को रेखांकित करते हुए भारतीय वायु सेना के अधिकारी विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने के अभियान को पूर्ण किया. श्री दरबार साहिब में आस्था व श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज के सानिध्य को याद करते हुए उस ऐतिहासिक क्षण को श्री गुरु राम राय जी महाराज के श्री चरणों में समर्पित किया। .काबिलेगौर है कि विंग कमांडर विक्रांत कमांडर का बचपन श्री दरबार साहिब परिसर में गुजरा है। इस उपलब्धि पर उन्होंने श्री गुरु राम राय जी महाराज का सिमरन किया व इस उपलब्धि को उनके श्री चरणों में समर्पित किया। गुरुवार को उन्होंने श्री दरबार साहिब में माथा टेका व श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया.
श्री दरबार साहिब के श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने विंग कमांडर विक्रांत उनियाल को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दीं. विंग कमांडर विक्रांत उनियाल श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट में पी.एचडी करेंगे.
विंग कमांडर विक्रांत उनियाल का यह अविस्मरणीय अभियान 15 अप्रैल 2022 को पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू से शुरू हुआ। 21 मई 2022 को उन्होंने एवरेस्ट फतह की चोटी को फतह किया। दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचकर उन्होंने भारत के उन हजारों अमर शहीद नायक -नायिकाओं को भी याद किया जिन्हें प्रत्यक्ष या परोक्ष कारणों से अभी तक अमर शहीदों के रूप में उचित स्थान व उचित सम्मान नहीं मिल सका है।विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का अभियान अपने आप में कभी न मिटने वाली सत्य लोक कथा है। आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसे प्रेरणादाई अभियान उन्हें जीवन में संघर्ष के लिए प्रेरित करते रहेंगे.
विंग कमांडर विक्रांत उनियाल पर्वतारोहण में उच्च शिक्षित एवम ख्यातिप्राप्त पर्वतारोही हैं।उनका प्रशिक्षण प्रतिष्ठित नेहरू इन्स्टिट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग उत्तरकाशी, आर्मी माउंटेनरिंग सियाचीन, नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग एंड स्लाइड स्पोर्ट्स अरुणाचल प्रदेश में संपन् हुआ। विंग कमांडर विक्रांत उनियाल ने जानकारी दी कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम और विपरीत परिस्थितियों में यह अभियान सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ. माउंट एवरेस्ट में दिन के समय तापमान माइनस 10 डिग्री से माइनस 20 डिग्री रहता है जो रात के समय और आधिक गिरकर शरीर को गलाने वाली ठंड के स्तर तक पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि यह अभियान संयम, शारीरिक दक्षता, मानसिक सुदृढ़ता एवम कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति का प्रतीक है।

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