धर्म-संस्कृति

जब दुल्हन को बारात लेकर जाना पड़ा दूल्हे के घर

चंपावत। आपने सुना होगा कि दुल्हा ही दुल्हन के घर बारात लेकर जाता है और सात फेरे लेकर हंसी, खुशी दुल्हन को अपने घर लेकर आता है। लेकिन चंपावत के एक गाँव मे दुल्हन को खुद दूल्हे के घर बारात लेकर जाना पड़ा और सात फेरे लेकर यह उल्टी गंगा बहाने को मजबूर होना पड़ा।  है ना हैरानी वाली बात। आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो गया। युवती ने अपनी शादी को लेकर जो सपने बने थे कोरोना ने उसके सपनों पर ग्रहण लगा दिया। हुआ यूं कि चंपावत जनपद  के गांव स्वाला  गांव में एक युवक की शादी थी, घर परिवार में उत्साह बना हुआ था, लेकिन इस परिवार के खुशियों पर कोरोना ने अड़ंगा डाल दिया और  संक्रमितों के मिलने पर गांव को कंटेनमेंट घोषित कर दिया तो शादी पर भी संकट बन आई। दरअसल, स्वाला गांव के डुंगर देव के बेटे प्रकाश भट्ट की शादी 12 मई को पुनाबे निवासी रमेश बिनवाल की बेटी प्रियंका के साथ   थी लेकिन स्वाला में एक साथ 47 लोगों के कोविड संक्रमित होने से विवाह से एक दिन पहले ही मंगलवार को गांव को कंटेनमेंट जोन कर दिया गया। गांव को कंटेंनमेंट जोन बनाने से दुल्हन और दूल्हा पक्ष के लोग सकते में आ गए। गांव के बुद्धिजीवियों ने इस विकट समस्या को लेकर  मंथन किया, और आलाअधिकारियों को समस्या बताई तमाम विचार विमर्श के बाद प्रशासन ने दुल्हन को कोविड गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करते हुए चार लोगों के साथ दूल्हे के गांव बरात लेकर जाने की अनुमति दे दी। दुल्हन को जब यह खबर मिली तो उसके अरमानों पर पानी फिर गया और लोंगो के समझाने व अनुमति मिलने के बाद चम्पावत के पुनाबे गांव निवासी यह युवती बुझे मन से अपने अरमानों का गला घोटकर शादी के लिए करीब 32 किमी दूर दूल्हे के गांव स्वाला जाना पड़ा।  दुल्हन प्रियंका , उसकी मां भावना देवी, पिता रमेश बिनवाल और पुरोहित रघुवर दत्त बरात लेकर बुधवार को स्वाला गांव पहुंचे और दूल्हे के गांव में दुल्हन ने सात फेरे लिए और विवाह की रस्में पूरी की । इस प्रकिया से दूल्हे के दुल्हन को घर लाने के सपने भी धरे के धरे रह गए।  विवाह के बाद दुल्हन की मां, पिता और पुरोहित वापस गांव पुनाबे लौट गए। वहीं दुल्हन प्रियंका अपने ससुराल में  रही।  चम्पावत तहसीलदार ज्योति धपवाल ने बताया कि स्वाला गांव में 47 लोगों के पॉजिटिव आने पर गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था। कंटेनमेंट जोन से बाहर जाना प्रतिबंधित होता है। इसी वजह से वर पक्ष को गांव से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके स्थान पर कन्या पक्ष को चार लोगों के साथ स्वाला गांव में जाकर विवाह करने की अनुमति दी गई। दुल्हन के मां, पिता और पुरोहित को पुनाबे गांव में लौटकर होम आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए गए हैं।

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