उत्तराखंड

पौड़ी गढ़वाल : जैविक खेती से लहलहा रहे दिवोली गांव के खेत, ग्रामीणों और प्रवासियों की मेहनत लाई रंग

पौड़ी गढ़वाल। राज्य गठन को भले ही 20 साल हो गए, लेकिन राज्य में पलायन लगातार जारी रहा। गांव के गांव पलायन से खाली हो गए। कोरोना काल के दौरान प्रवासी बड़ी संख्या में गांवों को लौटे। इसी प्रकार पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के ग्रामसभा शीला तल्ला के दिवोली गांव में भी बड़ी संख्या में प्रवासी गांव लौटे। ग्राम दिबोली, ग्राम सभा सीला तल्ला, विकास खण्ड बीरोंखाल के अन्तर्गत जिला पौड़ी गढ़वाल का एक छोटा गांव है। एक दशक पहले तक गांव में 30-35 परिवार रहते थे जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 100 के आसपास थीद्य पलायन की व्यथा दिवोली की भी वैसी ही है जैसे पूरे उत्तराखण्ड की है। आज स्थिति ऐसी है कि गांव में केवल 7-8 परिवार रह गये हैं और जनसंख्या के हिसाब से कुल 20-25 व्यक्ति द्य विडंवना है कि इनमें से अधिकतर महिलायें और बुजुर्ग हैं क्योंकि पुरूष रोजगार की तलाश में शहर-कस्बों का रुख कर चुके हैं। किंचिंत, समान स्थिति दिबोली से लगते सीला,,नवासू, पोखरसेण, भैंसोड़ा, मंगरों, बमराड़ी चैंडलिया, लाछी, नडिया आदि गांवों की भी हैद्य दशक पहले तक इन गांवों का जनसंख्या घनत्व काफी अधिक था।

कोरोना महामारी के इस दौर में पौड़ी जनपद के विभिन्न गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी घर लौटे हैं जिससे दिबोली गांव भी अछूता नहीं रहा। घर लौट कर रोजगार न होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। ऐसे में उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं ने इनके संकट को कम करने का काम किया। कहते हैं आपदा ही अवसर की जननी है! हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री जी के आपदा को अवसर में बदलने और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से प्रेरित होकर दिबोली गांव के युवाओं ने सामूहिक खेती करने का संकल्प लिया हैद्य उन्होंने आपदा से जूझने के बजाय अवसर तलाशने को प्राथमिकता दी और एकमात्र उपलब्ध विकल्प खेती को चुना। कुछ कर गुजरने के जज्वे से ओतप्रोत इन युवाओं ने पारंपरिक तरीके से जैविक खेती करना शुरू किया और गांव में रहकर ही स्वरोजगार की एक नई राह दिखाई है। गांव के ही कुछ प्रवासी प्रबुद्धजनों और अनुभवी भ्रातृजनों एवं गांव के बुजुर्गों के मार्गदर्शन में परियोजना का कार्य शुरु किया गयाद्य परियोजना के सुचारु रूप से क्रियान्वयन के लिये एक कृषक समूह का गठन किया गया है जिसे जल्दी ही एक संस्था के रुप में पंजीकृत किया जायेगा।

यह समूह पारम्परिक एवं आधुनिक कृषि पद्द्ति से जैविक खेती कर रहा हैं तथा क्षेत्र के अन्य युवाओं एवं ग्रामीणों को सामूहिक खेती के लिए भी प्रेरित कर रहा हैंद्य विगत छः माह में समूह ने सालों से बंजर पड़ी जमीन को फिर से खेती करने लायक बनाया हैद्य हालांकि अभी छोटे पैमाने पर सब्जियों का उत्पादन शुरु किया गया है तथा चरणबद्ध तरीके से भूमि एवं फसल आच्छादन बढ़ाया जायेगा द्य सही फसलों के चयन हेतु एवं उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह ली जायेगी तथा उन्नत किस्म के बीज, आधुनिक कृषि प्रणाली, जैविक खाद आदि के प्रयोग किया सके। हालांकि, यह अभी शुरुआत भर हैं लेकिन वे आगे चलकर मशरूम उत्पादन, कृषि बागवानी आदि क्षेत्र में नई शुरूआत करना चाहते हैं।

विकासखण्ड, बीरोंखाल के अधिकारी भी इन युवाओं को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं द्य माननीय विकासखण्ड अधिकारी, बीरोंखाल ने इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रसंशा की और समूह के सदस्यों को हर संभव सहयोग करने का आश्वाशन दिया है। उन्होंने स्वयं समूह के कार्यक्षेत्र, दिबोली का दौरा किया और समूह के सदस्यों को इस काम को बड़े स्तर पर करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इस मुहीम में आसपास के गांवों के युवाओं और महिलाओं को भी सम्मिलित करने की जरुरत है ताकि इस तरह प्रयासों का व्यापक प्रचार प्रसार हो और अधिक से अधिक लोग इससे से लाभान्वित हो सकें। इस अवसर पर समूह के सदस्यों ने उन्हें एक ज्ञापन पत्र भी सौंपा जिसमें विकासखंड से तकनीकी सहयोग और सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए निवेदन किया गया है। क्षेत्र के किसानों के सशक्तिकरण एवं समूह के इस प्रयास को गति देने के लिए समूह के सदस्यों ने निम्नलिखित सुविधायें एवं सहयोग प्रदान करने के लिए निवेदन किया गया।

  1.  उन्नत बीजों की उपलब्धता
  2. क्षेत्र के कृषकों को जैविक खेती की तकनीकों, प्रणालियों एवं प्रवंधन में प्रशिक्षित करने हेतु प्रशिक्षण
  3. सिंचाई के लिए नहर (कूल) का निर्माण
  4. खेतों की बाड़ का प्रवंधन
  5. मृद्दा जाँच
  6. कृषि विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी जाँच एवं निगरानी में सहयोग
  7. एकीकृत कृषि योजना में दिबोली एवं आसपास के गावों को जोड़ा जाए

विकासखण्ड अधिकारी जी के अतिरिक्त पौड़ी तकनीकी संस्थान के श्री विवेकानंद कोठारी, ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत मंत्री, पटवारी आदि भी ग्राम दिबोली का भ्रमण कर चुके हैंद्य जनता के साथ प्रशासन की सहभागिता क्षेत्र के कृषकों विशेषकर युवाओं के लिये निश्चित रुप से प्रेणादायक साबित होगी और लोगों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित करेगा तथा स्वरोजगार सृजन में अहम् साबित होगा।

न्यूज नेशन न्यूज पत्रकार धंनजय ढौडियाल लगातार कवरेज कर गांव की इस पहल को प्रोत्साहित कर रहे हैं तथा प्रशासन और समूह के सदस्यों के बीच सवांद स्थापित करने में मदद भी कर रहे हैं समूह के सदस्य श्री बिलोचन ढौंडियाल, श्याम सुंदर नौंगाई, जनार्धन नौंगाई,गीताराम नौंगाई, शेखरानंद ढौडियाल, सुबोध नौंगाई, मोहित ढौंडियाल, सुनील ढौंडियाल, मोहन ढौंडियाल, धनेश्वर ढौडियाल देवेन्द्र बुड़ाकोटी लगातार सामूहिक प्रयासों से इस पहल को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।

दिवोली गांव के बिलोचन ढौंडियाल बताते हैं कि गांव मे स्थायी रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है। जैविक खेती के अलावा वागवानी, कृषि वानिकी, पशुपालन आदि क्षत्रों में भी प्रोत्साहन एवं तकनीकी प्रशिक्षण की जरुरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *