साहित्य

”साजन मोरा घर” एवं “कजरी बरसन लागी बदरिया“ की घुन ने किया मोहित

विरासत में जगजीत सिंह की याद में ’कहां तुम चले गए ’विरासत का सालाना जलसा’ आयोजित  
निर्भय सक्सेना ने हिंदुस्तानी वोकल संगीत की प्रस्तुतियां दी
देहरादून । विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के 9वें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम में राजेश बादल द्वारा जगजीत सिंह की देहरादून में याद’ पर  विरासत का सालाना जलसा’ रखा गया। जिसमें राजेश बादल जी ने जगजीत सिंह के जीवन यात्रा के बारे में बताया। 
सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में निर्भय सक्सेना द्वारा हिंदुस्तानी वोकल संगीत की प्रस्तुतियां दी। उन्होंने अपने प्रस्तुतियां का आरंभ राग कमोद विलंबित में “मति मलिनिया“उसके बाद छोटा ख्याल द्रुत बंदिश एवम मध्यलय में “तोरे जाने ना दूंगी“। राग सोहनी में एक तराना एवम अंत में एक दादरा “तुम बिन मोरा जिया नही लागे“से प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में उनका साथ जाकिर ढोलपुरी (हारमोनियम),मिथलेश झा (तबला),कन्हिया बहिती (तानपुरा), योगेश (तानपुरा) ने दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में नंदिनी शंकर द्वारा वायलिन वादक प्रस्तुतियां दी । जिसमें उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन का एक अनोखा मिश्रण प्रस्तुत किया एवं उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति राग जोग में विलंबित एक ताल , मध्यलय में एक बंदिश “ साजन मोरा घर“ एवं “कजरी बरसन लागी बदरिया“ प्रस्तुत किया एवं अंत में राग भैरवी में एक ठुमरी नैना मोरे से अपनी प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में शुभ महाराज की जबरदस्त जुगलबंदी देखने को मिली।

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