अंकिता हत्याकांड मामले को लेकर पूर्व सीएम ने दिया धरना
देहरादून। अंकिता भण्डारी हत्याकांड में सीबीआई जॉच एवं वीआईपी के नाम के खुलासे की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क में धरना दिया।धरने में भारी संख्या में कार्यकर्ता एकत्रित हुए। अंकित हम शर्मिदा हैं तेरे कातिल जिन्दा हैं, सीबीआई की जॉच कराओं अंकिता को न्याय दिलाओ, वीआईपी का नाम बताओं, इत्यादी नारों से गांधी पार्क परिसर गुजांएमान हो उठा। उपस्थित लोगो में अंकिता हत्याकांड के तीन महिने बीत जाने के बावजूद भी वीआईपी के नाम का खुलासा न होने के कारण भारी आक्रोश जताया। इस दौरान मीडिया से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाजपा सरकार में उत्तराखण्ड राज्य की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।राज्य की कानून व्यवस्था लचर अवस्था में पहुॅच गयी है। आये दिन महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं घटित हो रही है। यमकेश्वर ब्लॉक के वंनतरा रिर्जोट में घटित अंकिता हत्याकांड जैसी विभत्स घटना से उत्तराखंड राष्ट्रीय पटल पर शर्मसार हो गया है। पौडी जिले की बेटी अंकिता भण्डारी जो मात्र अपनी मौत से 15 दिन पहले भाजपा सरकार में राज्य मंत्री रहे डॉ विनोद आर्य के रिजोर्ट में रिसेपसनिस्ट के पद पर नौकरी में लगाई गयी थी उसका विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य ने मानसिक उत्पीडन किया तथा किसी वीआईपी को एकस्ट्रा सर्विस देने के लिए दबाव डाला। घटना के तीन माह बीत जाने के बाद भी उत्तराखण्ड की सरकार और पुलिस प्रशासन मामले की लीपापोती में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें लगातार बढती जा रही हैं। भाजपा सरकार में अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है। भाजपा नेता के बिना अनुमति के चल रहे रिजार्ट में राज्य की बेटी अंकिता भण्डारी के साथ हुई जघन्य अपराध की घटना इसका जीता जागता उदाहरण है। रावत ने कहा कि आज उत्तराखण्ड की बेटियां अपने ही राज्य में सुरक्षित नही है?
उन्होंने कहा कि अंकिता हत्याकांड में बहुत सारे सवाल उलझे हुए हैं बहुत से ऐसे सवाल हैं जो अनुउत्तरित हैं। उन्होनें कहा कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है तब से राज्य की कानून व्यवस्था अपने निम्न स्तर पर पहुॅच चुकी है। भाजपा सरकार में न तो बच्चियॉ सुरक्षित हैं और न महिलाएं। पिछले छः माह के अन्दर राज्य में महिलाओं के साथ घटित घटनाएॅ इसका प्रमाण हैं। उन्होनें कहा कि राज्य के मैदानी जनपद ही नही अपितु पर्वतीय जनपदों में भी महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन में यहां की महिलाओं का अतुलनीय योगदान रहा है तथा आन्दोलन में कई आन्दोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी। परन्तु आज जिस प्रकार भाजपा की सरकार में महिलाओं आये दिन बलात्कार एवं हत्या जैसे जघन्य अपराधों का शिकार हो रही हैं उससे पूरा उत्तराखण्ड अपने को शर्मशार महसूस कर रहा है। उन्होनें सरकार से मांग की है कि अंकिता भण्डारी प्रकरण के दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जॉच मा0 उच्च न्यायालय के न्यायधीश की निगरानी में हों ताकि वीआईपी का नाम उजागर हो सके और सत्य सबके सामने आ सके।
धरने में पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व मंत्री गोविन्द सिंह कुंजवाल, हीरा सिंह बिष्ट, मंत्री प्रसाद नैथानी, संगठन महामंत्री विजय सारस्वत, राजपाल खरोला, सतपाल ब्रहमचारी, सीपीआई समर भण्डारी, एसएस पांगती, प्रकाश थपलियाल, पूर्व विधायक ओम गोपाल, सुरेन्द्र अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष जसविन्दर सिंह गोगी, पूरन सिंह रावत, विरेन्द्र पोखरियाल, मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, ,एससीविभाग अध्यक्ष दर्शन लाल, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट, नीरज त्यागी, नवनीत सती, ऋषिकेश महन्त विनय सारस्वत, श्याम सिंह चौहान, हरिद्वार जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी, पार्षद ऋषिकेश मनीष शर्मा, सुरेन्द्र रांगड, महेन्द्र सिंह नेगी गुरूजी, सेवादल प्रदेश अध्यक्ष हेमा पुरोहित, सुशील राठी, आशा मनोरमा डोबरियाल, शान्ति रावत, प्रशान्त भैंसोडा, संग्राम पुण्डिर, लक्ष्मण नेगी, ओमप्रकाश सती, विरेन्द्र पंवार, चौ.सतवीर, राव अफाक, संजय सैनी, विरेन्द्र कण्डारी, राजेन्द्र राणा, शकील मंसूर, श्रीमती नजमा खान, महावीर रावत, धर्म सिंह पंवार, चौ0 करतार सिंह, पूर्व पार्षद सुनील जयसवाल, राकेश नेगी, मनीष नागपाल, कमल रावत, चन्द्रकला नेगी, पुष्पा पंवार, सरोज देवराडी, आशा टम्टा, रितेश क्षेत्री, आदि मौजूद थे
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