Home उत्तराखंड लोकपर्व हरेला-“लाग हर्याव, लाग बग्वाल, जी रयै, जागि रयै, यो दिन बार...

लोकपर्व हरेला-“लाग हर्याव, लाग बग्वाल, जी रयै, जागि रयै, यो दिन बार भेटने रयै”

देहरादून । उत्तराखंड में हर ऋतु अपने साथ एक त्योहार भी लेकर आती है। श्रावण मास में पड़ने वाला ऐसा ही एक त्योहार है हरेला जो कि उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र का लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ किसानों और पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है।

हरेला पर्व उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र का सुप्रसिद्ध और लोकप्रिय त्योहार है। हरेला पर्व से 10 दिन पहले घरों में थाली, मिट्टी व रिंगाल से बनी टोकरी में 7 प्रकार का अनाज बोया जाता है, जिसमें प्रत्येक दिन जल चढ़ाकर इसकी पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि जिसका हरेला जितना बड़ा होगा उसे कृषि में उतना ही लाभ होगा इसलिए इस दौरान किसान अपनी फसल की पैदावार का अनुमान भी लगाते हैं। इस दिन घर के बड़े-बुजुर्ग परिवार के सदस्यों के सिर पर हरेला के तिनके रखते हुए हुए उन्हें आशीर्वाद भी देते हैं। इसलिए इस त्योहार को खुशहाली और उन्नति का प्रतीक भी माना गया है।

हरेला काटने से पूर्व कई तरह के पकवान बनाकर देवी देवताओं को भोग लगाने के बाद पूजन किया जाता है। हरेला पूजन के बाद घर परिवार के सभी लोगों को हरेला शिरोधारण कराया जाता है। इस मौके पर ‘लाग हर्याव, लाग बग्वाल, जी रयै, जागि रयै, यो दिन बार भेटने रयै’ शब्दों के साथ आशीर्वाद दिया जाता है।

लोकपर्व ‘हरेला‘ आस्था का प्रतीक

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्तराखंड को भगवान शिव के निवास स्थान भी माना जाता है, जिसके कारण हरेला पर्व भगवान शिव के विवाह की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके परिवार के सभी सदस्यों की मिट्टी से मूर्तियां बनाई जाती हैं। जिन्हें प्राकृतिक रंगों से रंगा जाता है। कुमाऊँ छेत्र में कई जगहों पर हरेला पर्व के दिन मेला भी लगता है।
इस त्योहार को लेकर खास बात यह है कि जहाँ कोई भी त्योहार साल में एक बार ही आता है वहीं हरेला पर्व पूरे वर्ष में तीन बार अलग-अलग महीने (चैत्र, श्रावण और आषाढ़) में आता है। लेकिन श्रावण मास के पहले दिन पड़ने वाले हरेला का सबसे अधिक महत्त्व है क्योंकि श्रावण मास में भगवान शिव की विशेषकर पूजा की जाती है।

प्रकृति संवर्धन और संरक्षण का प्रतीक

हमारे पूर्वजों ने हमेशा से ही प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की सीख हमें दी है। हरेला पर्व हमारी संस्कृति और पर्यावरण के संगम को दर्शाता है। साथ ही हमें अपने पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के संकल्प की याद भी दिलाता है। मान्यता है कि श्रावण मास में किसी भी वृक्ष की टहनी बिना जड़ के ही अगर जमीन में रोप दी जाय तो वह एक वृक्ष के रूप में ही बढ़ने लगती है। इसीलिए कई जगहों पर हरेला त्योहार के दिन विशेष रूप से फलदार वृक्ष लगाने के प्रचलन है, जो कि पर्यावरण के प्रति हमारी कर्तव्य निष्ठा और प्रकृति प्रेम को भी दर्शाता है। साथ ही यह त्योहार सामाजिक सद्भाव और सहयोग का पर्व है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा ‘‘प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन उत्तराखंड की परंपरा का अहम हिस्सा रहा है। हरेला पर्व सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक होने के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव और सहयोग का प्रतीक है। इसलिए आइये हरेला पर्व के सुअवसर पर हम अपने पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लें और सामाजिक सद्भाव और सहयोग से इस कोरोना रूपी महामारी को दूर करने का संकल्प लें।’’

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा ‘‘हरेला पर्व हमारी संस्कृति और पर्यावरण के संगम को दर्शाता है। साथ ही हमें अपने पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के संकल्प की याद भी दिलाता है। आइये अपने लोक पर्व और संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए, हरेला पर्व के दिन ‘एक वृक्ष ज़रूर लगाएं।’’

————————

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

क्रीड़ा भारती के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से की भेंट

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शनिवार को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में क्रीड़ा भारती के प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की। उन्होंने राज्य में नई...

सीएम ने की रामनगर में आयोजित होने वाली जी-20 बैठक की समीक्षा, बोले -उत्तराखंड की विश्व स्तर पर पहचान बनाने का मौका है जी-20...

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में जी 20 बैठक की आयोजन व्यवस्थाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने इस...

सीएम ने किया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण का औचक निरीक्षण

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल में दवाओं की...

सीएम धामी ने बच्चों संग मनाया लोकपर्व फूलदेई

देहरादून। उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर गुरूवार को भराड़ीसैंण स्थित मुख्यमंत्री आवास में क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के...

सुबह मार्निंग वाक पर निकले सीएम धामी, जाना हाल-चाल

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को प्रातः भ्रमण के दौरान विधानसभा परिसर भराड़ीसैंण के मुख्य मार्ग पर सफाई कर रहे स्वछता कर्मियों...

वित्तमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट किया प्रस्तुत, सीएम धामी बोले -उत्तराखंड @2025 के संकल्प को पूरा करने वाला बजट

देहरादून । ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को वित्तमंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट...

महाराज ने की सड़कों को गढ्डा मुक्त करने वाले ‘ऐप’ की घोषणा

शिकायतकर्ता को काम होने पर मिलेगी चित्र सहित जानकारी भराडीसैंण (गैरसैण)। विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण,...

लोक पर्व फूलदेई पर भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में जीवंत हुई लोक संस्कृति

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फूलदेई पर्व की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी है। अपने सन्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में...

इंफ्लूएंजा-ए के सब वेरिएंट एच3 एन2 की रोकथाम के लिए मास्क का करें प्रयोग: महाराज

केदारनाथ व बद्रीनाथ यात्रा के लिए 267434 यात्री करवा चुके हैं पंजीकरण गैरसैंण। इंफ्लूएंजा-ए के सब वेरिएंट एच3 एन2 का खतरा लगातार बढ़ रहा है।...

दून का झंडा मेला शुरू : आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने को उमड़ा भारी जन सैलाब

श्री दरबार साहिब मे 4 बजकर 12 मिनट पर हुआ श्री झण्डे जी का आरोहण देहरादून। खुशियां नाल मनाईये जन्मदिन सद्गुरु दा........ श्री गुरु राम...

Recent Comments

हेमवती नंदन कुकरेती महामंत्री हिन्दी साहित्य समिति देहरादून on हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को कुछ शर्तों के साथ हटाई