शिक्षा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर बदला नैक के मूल्यांकन का स्वरूप

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय वर्कशाप में विशेषज्ञों ने समझाई नैक एक्रीडिटेशन मूल्यांकन एवम् प्रत्यायन की बारीकियां
 20 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों के 150 प्रतिनिधियों ने किया प्रतिभाग
देहरादून। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर विश्वविद्यालयों में नैक की तैयारियों का प्रारूप कैसा होना चाहिए , नई शिक्षा नीति के आधार पर अब विश्वविद्यालों को नैक एक्रीडिटेशन के दौरान किन किन बिन्दुओं का ध्यान रखना है ? नैक की प्रक्रिया को विश्वविद्यालय किस प्रकार सरलतापूर्वक समझकर नैक के सम्मुख आकर्षक प्रस्तुतिकरण दे सकते हंै। ऐसे कई महत्वपूर्णं बिन्दु पर नेशनल असेसमेंट एण्ड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) के सह-सलाहकार डाॅ नीलेश पाण्डेय ने विस्तृत व्याख्यान दिया। यह बातें उन्होंने श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित 20 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों से आए 150 से प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कही।
शनिवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पटेल नगर स्थित कैंपस के सभागार में दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन वर्कशाप का शुभारंभ मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता डाॅ नीलेश पाण्डेय व श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ उदय सिंह रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। अपने सम्बोधन में डाॅ नीलेश पाण्डेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर अब सभी विश्वविद्यालयों को नैक एक्रीडिटेशन एक तरह से आवश्यक हो गया है। उन्होंने नेशनल असेसमेंट एण्ड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) के द्वारा मूल्यांकन से जुड़े महत्वपूर्णं बिन्दुओं को समझाया। उन्होंने कहा कि नैक का मूल्यांकन व परीक्षण एक दिन की प्रक्रिया नहीं है, यह विश्वविद्यालय व किसी संस्थान में सतत चलने वाली निरंतर प्रगति की प्रक्रिया है। अनुभव, परीक्षण व लगातार प्रयास के साथ-साथ विश्वविद्यालय को नैक एक्रीडिटेशन की तैयारियों के तराशा जाता है व नैक के लिए तैयार किया जाता है। उन्होंने पूर्व की तुलना में अब नैक एक्रीडिटेशन के लिए आए नए बदलवाओं व नई नीतियों से भी अवगत कराया।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ उदय सिंह रावत ने कहा कि वर्कशाप का उद्देश्य नैक से जुड़े महत्वपूर्णं बिन्दुओं को समझना व नैक के नए फार्मेट से जुडी जानकारियों का आदान प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि नैक की टीम द्वारा मूल्यांकन के दौरान काॅलेज के प्रोफाइल, प्राचार्य, प्रोफेसरों की संख्या, अन्य फेकल्टी सदस्यों की संख्या, पीएचडी शोधकर्ताओं की संख्या, अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या, काॅलेज में संचालित सभी लैब के आधुनिक उपकरण, काॅलेज के प्रोफसरों द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों, लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकें, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय जनरल सहित विभिन्न महत्वपूर्णं बिन्दुओं का गहनता से आकलन किया जाता है। बेहद अनुशासित व सभी मापदण्डों पर खरा उतरने वाले विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को ही नैक एक्रीडिटेशन प्राप्त होता है। प्रो. वीए बौडाई ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय आईक्यूएसी (इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल) की समन्वयक डाॅ (प्रो.) कुमुद सकलानी ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के सह संरक्षक रजिस्ट्रार एसजीआरआर विश्वविद्यालय, डाॅ दीपक साहनी, सह समन्वयक डाॅ (प्रो.) डाॅ सुमन विज, विश्वविद्यालय समन्वयक डाॅ आर.पी.सिंह, चीफ प्राॅक्टर कम स्पोक्सपर्सन मनोज तिवारी, प्रो. डाॅ सरस्वती काला, डाॅ मनोज गहलोत, डीन रिसर्च डाॅ लोकेश गम्भीर, डीन एकेडमिक डाॅ मालिविका कांडपाल, डाॅ अरुण कुमार सहित विश्वविद्यालय के सभी विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष फेकल्टी सदस्य उपस्थित थे।

————–

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *